सेब के घरेलू चमत्कारी प्रयोग , Apple Benefits In Hindi



सेब के घरेलू चमत्कारी प्रयोग

एंटी-आक्सीडेंट से भरपूर सेब की अनेक रोगों से बचाने तथा रोग निवारण के लिए बड़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। कहावत भी है - " एक सेब खाइए, -डॉक्टर से दूर रहिए " – शोध के बाद यह तथ्य सामने -आया है कि प्रतिदिन एक सेब का सेवन करने से "फाइटोन्यूट्रिएंट्स' (Phyto- Nutrients) की प्रचुर मात्रा की प्राप्ति होती है। प्रो० चेंग वाई के अनुसार, "सेब में पाया जाने वाला क्लेरेक्टिन एंटी-आक्सीडेंट मस्तिष्क की क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की मरम्मत करता है। कोशिकाओं का क्षरण रुकता है । अल्जाइमर्स ( वृद्धावस्था की विस्मृति) एवं पार्किंसन जैसी कोशिका - क्षरणकारी बीमारियों से बचाव होता है । "


फनोलिक अम्ल जो सेब में पाया जाता है, वह मानव मस्तिष्क की कोशिकाओं की सुरक्षा के लिए बेहद फायदेमंद होता है। सेब के बीजों में विटामिन बी-17 पाया जाता है, जो एक शक्तिशाली कैंसररोधी तत्त्व है। विटामिन बी-17 सेब के अलावा चेरी, आडु, खूबानी, मक्का, बाजरा में तथा गेहूँ के जवारों (पौधों) के रस में भी पाया जाता है।


लेसिथिन, लोहा, कैल्सियम, फास्फोरस, पोटैशियम, मैग्नेशियम आदि अनेक खनिज लवणों एवं विटामिन बी, सी से भरपूर सेब अनेक रोगों से बचाता है। सेब में फास्फोरस की अधिक मात्रा होने से मानसिक स्वास्थ्य के लिए प्रभावी होता है। इसमें मैलिक एसिड एवं टार्टरिक एसिड होता है, जो पाचन संस्थान के लिए लाभप्रद होते हैं।


गुण-धर्म-

वात-पित्त का नाश करता है । टाइफाइड, क्षयरोग, अनिद्रा, गठिया - संधिवात, गुरदे के विकार, हृदय रोग, ज्वर, उलटी, दस्त, सिरदरद, उन्माद (मानसिक असंतुलन) कब्ज, यकृत एवं प्लीहा की वृद्धि इत्यादि रोगों में लाभप्रद होता है । स्मरण शक्ति बढ़ाता है। आँतों के विकार दूर करता है। पाचन क्षमता बढ़ाता है। स्नायु संस्थान को बल देता है। घबराहट दूर करता है। रक्तचाप संतुलित करता है। प्रकृति शीतल होती है। सेब रक्तशोधक होता है। रक्त की क्षारीयता बढ़ाता है। शरीर की अनावश्यक गरमी कम करता है । अनिद्रा की परम औषधि है । दाँत- मसूड़ों तथा अस्थियों को स्वस्थ बनाए रखने में प्रभावशाली है। ज्वर में लाभप्रद है ।


उपयोग

पाचन की कमजोरी - 

(1) कच्चे सेब का रस 100 ग्राम लेकर मिसरी मिलाकर नित्य प्रातः सेवन करने से लाभ होता है ।

(2) सेब को आग में सेंककर या भाप में पकाकर सेवन करने से पाचनक्रिया मजबूत होती है। जठराग्नि बढ़ने से भूख खुलकर लगने लगती है।


नशे की लत छुड़ाने के लिए -

(1) 40 दिन तक पके सेब का रस दिन में तीन बार सेवन करने से शराब की लत छूट जाती है।

(2) प्रातः खाली पेट 40 दिन तक 1 बड़े सेब का सेवन करने से भी नशा की आदत छूट जाती है।

मस्तिष्क को बल मिलता है। 


अनिद्रा में - स्नायुओं के विकारग्रस्त होने से

अनिद्रा रोग बढ़ता है। सोते समय 1 सेब खाएँ या सेब के मुरब्बे का सेवन कराएँ। इससे नींद आने लगती है । इस प्रयोग के साथ सोते समय 3 ग्राम जटामांसी चूर्ण एक गिलास दूध के साथ सेवन करने से लाभ शीघ्रता से होने लगता है।


आँतों के अंदर की सड़न में – आँतों की दुर्गंधता एवं संक्रमण नष्ट करने में सेब की भूमिका बड़ी महत्त्वपूर्ण होती है। सेब का रस या सेब का सेवन करने से आँतों की सड़न, गैस, अपच आदि विकृति दूर होती है ।


मस्सों में - बवासीर के मस्सों पर खट्टे सेब का रस निकालकर दिन में 3 बार नित्य लगाने से मस्से नष्ट हो जाते हैं। बवासीर का खून आना भी बंद ■ हो जाता है ।


सिरदरद में – आधाशीशी, माइग्रेन आदि कई प्रकार के सिरदरद जो पित्तजन्य, तनावजन्य इत्यादि कारणों से होते हैं, उन्हें सेब दूर करता है। वस्तुत: सेब मस्तिष्क को स्वस्थ बनाने के लिए बड़ी कारगर औषधि है। सेब काटकर चुटकी भर नमक लगाकर एक माह तक सेवन करने से सिरदरद दूर होता है।


पथरी में - खान-पान, रहन-सहन की छोटी- छोटी भूलें पथरी को जन्म देती हैं। प्रातः उठकर नीबू निचोड़कर 1 गिलास गरम पानी पीने से पथरी बनने की संभावना समाप्त होती है। पानी पर्याप्त मात्रा में पीना चाहिए । मल, मूत्र इत्यादि प्राकृतिक वेगों को नहीं रोकना चाहिए। सेब, तरबूज, खीरा, खरबूजा, पपीता, मूली, गाजर का सेवन पर्याप्त करते रहने से पथरी बनने की संभावना नहीं रहती है ।


सेब का रस दिन में चार बार 100-100 ग्राम पिलाने से मूत्राशय की पथरी टूट-टूटकर निकलने लगती है। सेब का नियमित सेवन करने से पथरी पुनः बनना भी बंद हो जाता है।


उलटी में - सेब के रस में सेंधा नमक मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।


प्यास की अधिकता में - बार - बार मुँह सूखना, प्यास अधिक लगने की प्रवृत्ति में सेब का रस 100 ग्राम लेकर 50 ग्राम पानी मिलाकर पिलाने से प्यास की अधिकता मिटती है ।


गुरदे के दरद में – गुरदे की कार्यप्रणाली को - स्वस्थ बनाने के लिए सेब का नियमित सेवन करें। सेब गुरदे के दरद को दूर करता है ।


सूखी खाँसी में - पके हुए सेब के रस में मिसरी पीसकर मिला दें तथा 2-3 बार सेवन कराने से सूखी खाँसी दूर होती है।


बिच्छू के दंश पर - एक गिलास सेब के रस में आधा ग्राम कपूर मिलाकर दिन में 2 बार पिलाने से लाभ मिलता है।


जोड़ों के दरद में - रक्तशोधक एवं क्षारीय धर्म होने के कारण तथा कैल्सियम, फास्फोरस एवं विटामिन 'सी' का अच्छा स्रोत होने से सेब का नियमित सेवन जोड़ों के दरद को दूर करता है ।


चिड़चिड़ापन एवं क्रोध में — सेब का नियमित - सेवन करने से मस्तिष्क को स्वस्थ बनाए रखने वाले (न्यूरोट्रांसमीटर्स संदेशवाहक रसायनों) का स्राव बद जाता है, जिससे क्रोध, चिड़चिड़ापन तथा गुस्सा कम हो जाता है। मस्तिष्क को शांति मिलती है।


पेट के कीड़े — नमकीन, पूड़ी-पराठें, चाट- पकौड़ी, समोसा और कचौड़ी जैसे तले हुए खाद्यों के प्रयोग से पेट में कब्ज, गैस, आँव जैसी व्याधियाँ बढ़ रही हैं। बड़ी आँत में विकृति होने पर पेट में कृमि पैदा होते हैं और अनुकूल वातावरण में कृमियों को पोषण मिलने लगता है। जबकि सेब, नीबू, संतरा, मौसमी आदि फलों का रस तथा मठा, छाछ, दही, हींग, अजवायन का प्रयोग कृमियों को नष्ट करते हैं।


प्रातः खाली पेट 1 गिलास गरम पानी में सेंधा नमक तथा आधा नीबू का रस निचोड़कर पिएँ तथा सोते समय 250 ग्राम सेब का सेवन करें। सेब खाने के बाद पानी न पिएँ । 10 दिनों तक नियमित समय पर प्रयोग करें। इससे पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं । उचित पथ्य - परहेज का ध्यान रखिए ।


पतले दस्त में - कच्चे सेब को उबालकर खिलाने से पतले दस्त बंद हो जाते हैं। पथ्य के रूप में 3-4 दिनों तक दही के साथ चावल, ईसबगोल की भूसी, पका हुआ केला लेना उचित रहता है। उबला हुआ पानी सामान्य ताप का होने पर सेवन करें।


सरदी-जुकाम में – जिन्हे बार - बार सरदी-जुकाम होता है, उन्हें भोजन के पहले 1 सेब प्रतिदिन सेवन करना चाहिए, इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।


सेब का मुरब्बा - हृदय रोग, अनिद्रा, असंतुलित रक्तचाप होने पर तथा मानसिक शांति के लिए सेब का मुरब्बा बड़ा लाभप्रद होता है। मुरब्बा बनाने की विधि इस प्रकार है-


सर्वप्रथम 1 किलो सेब छिलका हटाकर काट

लें। बीज वाले हिस्से को काटकर अलग कर लेते हैं

नमक के पानी में डुबोकर रखते हैं, जिससे सेब का

रंग यथावत् बना रहे। सेब के वजन से डेढ़ गुना देशी

मिसरी लेकर चासनी बनाकर सेब के टुकड़े डाल दें।

जब सेब के टुकड़े पक जाएँ तब उतारकर ठंढा कर लें।


कब्ज में - एक सेब नित्य गरम राख में भूनकर खाने से कब्ज निवारण होता है । यह एक अच्छा विरेचक है।



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