2021 में ऑर्गेनिक खेती करने का सबसे सही तरीका
धान की ऑर्गेनिक खेती |
मक्के की ऑर्गेनिक खेती |
ऑर्गेनिक गेहूं का पौधा |
ऑर्गेनिक गेहूं बीज |
सूरजमुखी की आधुनिक खेती |
कद्दू का ऑर्गेनिक फल |
ऑर्गेनिक अंगूर का फल |
आलू का आर्गेनिक फल |
पौधों के लिए पोषक तत्व
• पौधों के सामान्य विकास एवं वृद्धि हेतु कुल 16 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है।
• इसमें से किसी एक पोषक तत्वों की कमी होने पर पैदावार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और भरपूर फसल नहीं मिलती।
• कार्बन, हाइड्रोजन व ऑक्सीजन को पौधे हवा एवं जल्द से प्राप्त करते हैं।
पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व :-
• मुख्य पोषक तत्व :- नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटाश ।
• गौण ( द्वितीयक ) :- पोषक तत्व - कैल्शियम, मैग्नीशियम एवं गन्धक ।
• सूक्ष्म पोषक तत्व :- लोहा,जिंक, कॉपर मैग्नीज, हैं।मोलिब्डेनम, बोरान, एवं क्लोरीन।
• नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटेशियम को पौधे मिट्टी से प्राप्त करते हैं। इनकी पौधों को काफी मात्रा में जरूरत रहती है इन्हें प्रमुख पोषक तत्व कहते हैं।
• कैल्शियम, मैग्नीशियम एवं गंधक को पौधे कम मात्रा में ग्रहण करते हैं इन्हें गौण अथवा और द्वितीयक पोषक तत्व कहते हैं।
• लोहा, जस्ता, मैग्नीज, तांबा, बोरोन,मोलिब्डेनम, और क्लोरीन तत्वों की पौधों को काफी मात्रा में आवश्यकता पड़ती है इन्हें सूक्ष्म पोषक तत्व कहते हैं।
पोषक तत्वों के कार्य:-
नाइट्रोजन
• सभी जीवित उत्तको यानी जड़,तना, पत्ति की वृद्धि और विकास में सहायक है।
• क्लोरोफिल, प्रौटोप्लाज्मा, प्रोटीन और न्यूक्लिक अम्लों का एक महत्वपूर्ण अवयव हैं।
• पत्ती वाली सब्जियों और चारे की गुणवत्ता में सुधार करता है।
नाइट्रोजन की कमी :-
नाइट्रोजन की कमी से पौधे की पत्तियां कमजोर पड़ने लगती है। पौधे का विकास रुक जाता है और निचले स्तर में उगी हुई पत्तियां झड़ने लग जाती है। इसी कमी के कारण पौधे में कल्ले व फूल कम निकलते हैं।
पोषक तत्वों के कार्य :-
फास्फोरस
• पौधों के वर्धनशील अग्रभाग, बीज और फलों के विकास हेतु आवश्यक है। पुष्प विकास में सहायक है।
• कोशिका विभाजन के लिए आवश्यक है। जड़ों के विकास में सहायक होता है।
• न्यूक्लिक अम्लों, प्रोटीन, फास्फोलिपिड और सहविकारों।
• अमीनो अम्लों का अवयव हैं।
फास्फोरस की कमी के लक्षण:-
पौधे की ऊंचाई नहीं बढ़ पाती है और पौधा छोटा ही रह जाता है। पौधे की पत्तियों का रंग बैगनी व भूरा होने लग जाता है।
पोषक तत्व के कार्य :-
पोटेशियम
• एंजाइमों की क्रियाशीलता बढ़ाता है।
• तनु को मजबूत प्रदान करता है।
• ठंण्डे और बादलयुक्त मौसम में पौधों द्वारा प्रकाश के उपयोग में वृद्धि करता है, जिससे पौधों में ठण्डक और अन्यप्रतिकूल परिस्थितियों को सहन करने की क्षमता बढ़ जाती है।
• कार्बोहाइड्रेट के स्थानांतरण, प्रोटीन संश्लेषण और इनकी स्थिरता बनाए रखने में मदद करता है।
पोटेशियम की कमी के लक्षण :-
पोटेशियम या पोटाश की कमी के कारण पौधे की पत्तियां पीली पड़ने लग जाती है साथ ही उन्हें नुकीलापन बढ़ने लग जाता है और निचले स्तर पर व झुलसने लगती है।
रासायनिक खेती :-
प्रमुख रासायनिक उर्वरक
• यूरिया
• डाई अमोनियम फास्फेट DAP
• सुपर फास्फेट
• जिंक सल्फेट
• पोटाश खाद
रासायनिक कीटनाशक
• खरपतवार नाशक
• फफूंदनाशी
• कीटनाशक
किसानों की परेशानियां
• उत्पाद में भारी निवेश
• उर्वरकों की अधिक खपत
• फसलों में उच्च स्तर के लोग
• कम मिट्टी की नमी का स्तर
• मिट्टी की स्वस्थ गुणवत्ता में कमी
• कम उपज
जैविक खेती
जैविक खेती क्या है:-
" जैविक खेती की विधि जिसमें रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के कम उपयोग के साथ या बिना फसलों का उत्पादन किया जाता है, जैविक खेती कहलाती है। इसका मुख्य उद्देश्य मिट्टी की उर्वरक शक्ति को बनाए रखने के साथ-साथ फसलों का उत्पादन बढ़ाना है।"
IMC GROWTH BOOSTER |
हर्बल एग्रो ग्रोथ बूस्टर
Enriched With Cow Urine
Aloe Vera
Neem, Amla
Himalayan Berry And
Herbs
• यह पौधों के लिए ऑर्गेनिक हर्बल भोजन है।
• यह पौधे के विकास के लिए आवश्यक पोषक तत्व, खनिज पदार्थ और विटामिंस प्रदान करने में सहायक है।
• पौधों में इनकी कमी होने के कारण, रासायनिक खाद ए मिट्टी की पोषण मूल्य को खत्म कर देती है। की वृद्धि में कमी आती है और परिणाम स्वरुप उपज कम होती है।
हर्बल एग्रो ग्रोथ बूस्टर
एलोवेरा
यह एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-सेप्टिक, एंटी-माइक्रोबॉयल, और एंटी-बायोटिक पौधा है। यह पौधों के लिए संपूर्ण भोजन है जो उनके विकास में मदद करता है और उन्हें विभिन्न बीमारियों से बचाता है।
लेह बेरी
इसमें 100 से अधिक पौष्टिक तत्व, विटामिन-C, A, E, B-1, B-2 का भंडार, 24 मिनरल्स एवं 18 एमिनो एसिड है। यह पौधों के लिए अत्यंत लाभकारी है।
नीम
यह एंटीबाॅयोटिक, एंटीबैक्टीरियल एवं एंटीसेप्टिक है, जिसके कारण पौधों में कीड़े मकौड़ों से लड़ने की क्षमता आती है जैसे :-सफेद मक्खियां, पत्तिखनिज, भृंग, एक्सीड, झींगा, सफेद चीटियां, मिलीबॅग इत्यादि।
आंवला:-
विटामिन सी का भंडार है, जो पौधों के विकास के लिए अनिवार्य है। यहां पौधों को सूरज की हानिकारक किरणों से बचाता है।
गोमूत्र
गोमूत्र में से ऐसे कई तरह के तत्व पाए जाते हैं जो पौधों के लिए आवश्यक है जैसे: पोटेशियम, नाइट्रोजन, फास्फोरस, सोडियम, कैल्शियम इत्यादि। इन पौष्टिक तत्वों के अभाव में स्वस्थ्य पौधे की कल्पना भी नहीं की जा सकती हैं। गोमूत्र मिट्टी के भौतिक गुणों को बेहतरीन बनाता है।
हर्बल एग्रो ग्रोथ बूस्टर के उपयोग
1. एक शक्ति वर्धक, फूलोंत्तेजक एवं उपज वृद्धि कारक उत्पाद है। यहां फसल को रोग प्रतिरोधक शक्ति प्रदान करता है। इसे कीटनाशक एवं फफूंदी नाशक के साथ मिलाकर भी प्रयोग किया जा सकता है, यह कपास, धान, गेहूं, सोयाबीन, मिर्ची, बैगन, आलू, टमाटर, चना तथा सभी प्रकार के दलहन, सब्जियों, फल फूलों, के लिए अत्यंत लाभकारी है।
2. 1 लीटर पानी में 2.00 ml एग्रो ग्रोथ बूस्टर डालकर बीजों को 24 घंटे डूबा रखने दे फिर बीजारोपण करें।
3. हर 20 से 25 दिन बाद छिड़काव करते रहे।
4. फूल एवं संधारण के समय भी छिड़काव करते रहें।
मात्रा:-
1.0 से 1.5 मि.ली प्रति लीटर पर्याप्त पानी में छिड़काव करें।
इससे फ्लड व ड्रिप इरिगेशन के द्वारा 500 मि.ली. प्रति एकड़ के हिसाब से उपयोग करते रहें।
God imc
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