हमारे स्वास्थ्य का विटामिनो से संबंध, The need for vitamins in the body

 

हमारे स्वास्थ्य का विटामिनो से संबंध

प्रस्तुत अंक में विटामिन 'एफ' एवं 'के' के संबंध में जानकारियाँ दी जा रही हैं। विटामिन 'एफ' कद्दू के बीजों में अधिक मात्रा में पाया जाता है। विटामिन 'एफ' अलसी, बिनौला एवं सोयाबीन के तेल में भी पाया जाता है। विटामिन 'एफ' की कमी से एक्जिमा, त्वचा का रंग खराब होना, त्वचा का सौंदर्य बिगड़ना, त्वचा की परतें निकलना, त्वचा का रूखापन, बालों के रोग तथा गुरदा (किडनी) संबंधी रोग, उच्च रक्तचाप, गाल-ब्लैडर के रोग, पुरुष में प्रोस्टेट ग्रंथि की सूजन (वृद्धि) के कारण मूत्र की रुकावट, बूँद-बूंद मूत्र का आना, हृदय की कमजोरी, अनिद्रा, पागलपन (उन्माद), फेफड़ों से रक्तस्राव, गरमी के ज्वर तथा आंतरिक अंगों से रक्तस्राव जैसी कठिनाइयाँ आती हैं। विटामिन 'एफ' की पूर्ति होती रहे तो उच्च रक्तचाप कम हो जाता है । रक्तवाहिनियों की लचक (लोच) बढ़ जाती है। हृदय सशक्त रहता है।


विटामिन 'एफ' की पूर्ति के लिए कद्दू के बीजों की गिरी को पीस लें तथा 1 से 3 ग्राम तक की मात्रा में लेकर दूध के साथ या शहद के साथ सेवन करने से विटामिन 'एफ' की कमी से होने वाले विकारों से लड़ सकते हैं।


विटामिन 'के' हमारे शरीर में अत्यावश्यक होता है। इसके रहने से दुर्घटना, चोट, घाव होने पर रक्त बहने से रोकने में बड़ी भूमिका होती है। यकृत (लिवर) द्वारा प्रोथॉम्बिन नामक तत्त्व निर्मित होता है, विटामिन 'के' की उपस्थिति में ही प्रोथॉम्बिन बनता है।


नकसीर (नासिका से रक्तस्राव), फेफड़ों से रक्तस्राव, गुदा मार्ग या मूत्र मार्ग से रक्तस्राव, उलटी में रक्त आना, शीतपित्ती, हीमोफीलिया रोग होने पर रक्तस्राव आदि से बचने के लिए विटामिन 'के' का आत्मीकरण जरूरी है। रक्तक्षरण रोकने वाला विटामिन 'के' का प्रयोग गर्भवती महिला में प्रसव के एक सप्ताह पूर्व से का प्रयोग करते रहने से रक्त में प्रोथॉम्बिन की मात्रा बढ़ जाती है और प्रसव के समय रक्तस्राव कम होता है।

आँतों में पित्त की उपस्थिति में विटामिन 'के' का आत्मीकरण होता है। आपातकाल में दुर्घटना आदि में रक्त रोकने के लिए विटामिन 'के' के इंजेक्शनों का प्रयोग चिकित्सक करते हैं।

कुछ एलोपैथी औषधियाँ जैसे- एस्पिरिन, सल्फोनेमाइड, आर्सेनिकल आदि के कारण रक्त में प्रोथॉम्बिन की कमी हो जाती है।


विटामिन 'के' की सर्वाधिक मात्रा रिजका (अल्फा- अल्फा) में पाई जाती है। हरे शाक-सब्जियों में तथा पत्तेदार सब्जियाँ पत्तागोभी आदि के अतिरिक्त अंकुरित अनाज, सोयाबीन, गाजर आदि में भी पाया जाता है। 


सावधानियाँ-


विटामिन की पूर्ति प्राकृतिक स्रोत से करना ही उत्तम होता है।

• विटामिन की गोलियों का उपयोग चिकित्सक

की सलाह लेकर ही करें।

• एनीमिया में आयरन की गोली के साथ विटामिन 'बी' कॉम्पलेक्स का सेवन आवश्यक होता है।

• भोजनोपरांत लेने वाली दवाओं के साथ विटामिन का प्रयोग करना अधिक लाभप्रद होता है।

• लंबे समय तक गोलियों से विटामिन की पूर्ति करना हानिकारक होता है।

• विटामिन की गोलियों का सेवन दिन भर में दो

बार से अधिक न करें ।



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