स्वामी विवेकानंद की सफलता के तीन मूल मंत्र || Swami Vivekananda Success Mantra in Hindi

 स्वामी विवेकानंद की सफलता के तीन मूल मंत्र  Swami Vivekananda Success Mantra in Hindi


मैं बात कर रहा हूं स्वामी विवेकानंद के बारे में स्वामी विवेकानंद दुनिया के लिए एक सन्यासी थे लेकिन सन्यासी होने के बावजूद उन्होंने सदैव देश के डिवेलपमेंट देश की तरक्की के बारे में सोचा ।उन्होंने देश के युवाओं को सोचने के लिए मजबूर कर दिया कि कैसे वह अपने अंदर छुपी असीमित शक्तियों को बाहर निकाल सकते हैं और अपने लिए अपने परिवार के लिए और अपने देश के लिए उसे उपयोग कर सकते हैं । 
स्वामी विवेकानंद ने वेदों और उपनिषदों के ज्ञान को साधारण भाषा में लोगों तक पहुंचाया । वह बहुत बड़े विजनरी व्यक्ति थे । वो जानते थे कि भविष्य में दुनिया को क्या प्रॉब्लम होने वाली है मानव जाति को क्या समस्याएं होने वाली है। उन्होंने कई पुस्तकें लिखी । जैसे:-
कर्म योगा ,भक्ति योगा ,राज योगा ,जनन योगा।

आज मैं आपको उनकी तीन महत्वपूर्ण बातें बताने जा रहा हूं। जिसे खुद को सीख कर आगे बढ़ा सके 
पहली चीज जो मैंने उनके जीवन से सीखी वह है
भय मुक्त रहना
स्वामी विवेकानंद बचपन से ही किसी बात को सुनकर नहीं मानते थे वह खुद देख कर, खुद उस कार्य को कर कर ही विश्वास करते थे।
वह बचपन में अपने एक मित्र के साथ खेलने जाया करते थे और वे पेड़ पर जाकर चड़ जाते थे उन दोनों बच्चों को चोट ना लग जाए इसके लिए उस बच्चे के दादा जी ने कहा पेड़ पर भूत रहता है और पेड़ पर चढ़ने वालों की गर्दन तोड़ देता है।
उनका मित्र दादाजी की बात सुनकर घबरा गया लेकिन वह बिल्कुल भी नहीं घबराए। और उन्होंने तय कर लिया कि वह इस बात की पूरी सच्चाई जानकर रहेंगे।।
अगर बचपन में मैं या आप उनकी जगह पर रहते तो क्या करते।
हम कंबल में मुंह ढाक कर सो जाते।।
उन्होंने ऐसा नहीं किया उन्होंने तय किया कि इस बात की जड़ तक जाकर रहूंगा इसलिए एक रात वे उस पेड़ पर चुपचाप चढ़ गए और पूरी रात इंतजार किया ।। देखा कि कोई भूत आता है या नहीं जब कोई भूत नहीं आया तो उन्होंने अपने दोस्त को कहा मैंने खुद देखा है भूत नहीं होता है ।
उनका मानना है कि डर ही इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन है जो उनको आगे बढ़ने से रोकता है इसलिए उन्होंने कहा था:-

"अगर पाप जैसी कोई चीज है ,
तो यह कहना एकमात्र पाप है कि ,
मैं कमजोर हूं या कोई और कमजोर है"

दोस्तों हम में से कई सारे लोग हैं जिनके पास कई सारे आइडियाज है कितना कुछ करना चाहते हैं अपनी लाइफ की प्रॉब्लम अपने समाज की प्रॉब्लम्स साल्व करना चाहते हैं लेकिन ये डर रोक देता है । कि अगर यह ना चला तो ?क्या यह मुझे करना चाहिए ?क्या मैं इसमें सक्सेसफुल होऊगा?अगर मैं फेल हो गया तो? यह कंफर्ट जोन हमें आगे बढ़ने नहीं देती ।
यह बात याद रखना 
अगर तुमने अपने कंफर्ट जोन को नहीं तोड़ा।
तो यह कंफर्ट जोन तुम्हें तोड़ती रहेगी ।।

उनकी जिंदगी में दूसरी बात जो आपको बहुत कुछ सिखा सकती है वह है खुद पर विश्वास
स्वामी विवेकानंद का मानना था कि अगर किसी मकसद के लिए खड़े हो तो पेड़ की तरह खड़े हो गीरो तो बीज की तरह गीरो ताकि फिर से मिट्टी में होकर तुम दोबारा अपने मकसद को जी पाओंं।

अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस से मिले ज्ञान को पूरी दुनिया में फैलाना है यह उनका मेन मकसद था ।जेब में पैसे नहीं है ,कोई स्त्रोत नहीं है ,खाली पेट रहना पड़ रहा है ,भूखे रहना पड़ रहा है लेकिन वह अपने मकसद से हटे नहीं की दुनिया में इंडिया के ज्ञान को फैलाना है ।
स्वामी विवेकानंद को खुद पर हद से ज्यादा विश्वास था क्योंकि खुद पर विश्वास करना एक बहुत बड़ी ताकत होती है ।
उन्होंने फैसला किया कि 1883 में शिकागो में होने वाले विश्व धर्म सम्मेलन में वह हिस्सा लेंगे शिकागो पहुंचते ही स्वामी विवेकानंद जी के सामने बहुत बड़ी चुनौतियां आ गई विश्व धर्म सम्मेलन 2 महीने आगे बढ़ चुका था । उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वे शिकागो में 2 महीने गुजार सके उन्होंने कई रातें सड़कों पर गुजारे ,कई बार भूखे पेट सोए ,उनके पहनावे को देखकर कई सारे लोग उनका मजाक बनाते रहे ,कई बार तो कुछ लोग उनको मारने तक दौड़ जाते ,लेकिन वह कभी भी कमजोर नहीं पढ़े कभी भी उन्होंने घुटने नहीं टेके वक्त की मार से कभी नहीं हारे ।
क्योंकि उनका लक्ष्य बहुत बड़ा था 
"भारत देश को विश्व के मंच पर अपनी एक बड़ी पहचान सम्मान दिलाना है "जो वाकई में उसके लिए ही है ।
और हुआ भी ऐसे ही विश्व धर्म सम्मेलन के मंच में उन्होंने ऐसा भाषण दिया ऐसी स्पीच दी किस सुनने वालों को हिंदुस्तान और हिंदुस्तान के इस महान शख्स पर फक्र होने लगा ।
यह सभा में हुए स्पीच पूरी दुनिया में फेमस हो गई और आज पूरी दुनिया इसे पड़ती है ।
दोस्तों स्वामी विवेकानंद ने यह सिद्ध कर दिया कि खुद पर अगर अटूट विश्वास हो तो कोई दुनिया की बड़ी से बड़ी ताकत भी तुम्हें रोक नहीं सकती । प्रकाश रूपी मकसद को पाने के लिए
आपके पास दिया है ,आपके पास बाती है ,आपके पास तेल है लेकिन अगर आप उस दिए को नहीं जला पाओगे क्योंकि उस दिए को जलाने के लिए 'चिंगारी 'चाहिए ।।
इसी तरह आप सभी के पास भी प्लान है आइडिया हैं ,रिसॉर्ट हैं ,स्किल्स हैं लेकिन विश्वास की चिंगारी नहीं होगी तो यह सब कुछ होने के बावजूद भी आप कुछ नहीं कर पाएंगे ।

तीसरा सबसे महत्वपूर्ण कथन यह है कि स्वामी विवेकानंद एक ऐसे व्यक्ति थे जो अपनी कथनी और करनी में फर्क नहीं था उनके प्रतिक्रिया और शब्दों में अंतर नहीं था ।
एक बार एक विदेशी महिला ने उनसे कहा:-
 कि स्वामी जी 
'मैं आपसे विवाह करना चाहती हूं '
यह कैसे मुमकिन है मैं तो एक सन्यासी हूं । वह बोलती है :-मैं चाहती हूं कि आपके जैसा मेरा एक बेटा हो और वह तभी पॉसिबल है जब मैं आपसे शादी कर लूंगी ।
स्वामी विवेकानंद ने बड़ा ही सुंदर उत्तर दिया:-इसमें क्या मुश्किल है।
मैं तुम्हारा बेटा बन जाता हूं 
उस विदेशी महिला का सर सम्मान से स्वामी जी के सामने झुक गया ।

आपने वह कहावत सुनी है 
"जो अपनी बात का नहीं 
वह अपने बाप का नहीं "
सुनने में अटपटा लग सकता है लेकिन बात बिल्कुल सत्य है।
कभी-कभी हम अपने जीवन में समस्याओं को देखकर उदास हो जाते हैं और कुछ ऐसे निर्णय ले बैठते हैं जो हमें नहीं लेनी चाहिए थे। और जिनसे हमें नुकसान हो गया ।
इसलिए कभी भी निर्णय लेने से पहले सोच समझ कर उसके भले अंत को देखकर निर्णय लेना चाहिए और एक बार जो निर्णय ले लिया उस पर रहने की आदत डाल लेना चाहिए ।
"और जितना हो सके तुमसे काम,
 उतनी ही खोलो जुबान "
मेरा मानना है दोस्तों जिन को फॉलो करने वालों की संख्या करोड़ों है उनको फॉलो करके आप भी अपने जीवन को सफल बनाइए ।
उनका जीवन के 3 मूल तत्व
Be fearless
Believe in yourself
Be the man of your words 
स्वदेश रक्षा परम धर्म।
गुड आईएमसी दोस्तों धन्यवाद।।

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