Aloe Vera Ke Fayde in Hindi || IMC Aloe Vera Benifits In Hindi

एलोवेरा के चमत्कारी फायदे


IMC Aloe Vera Benifits In Hindi


घृतकुमारी, घीकुँवार, ग्वारपाठा, एलोवेरा नाम से भारत में सुविख्यात औषधि आज हर घर-आँगन के गमलों में भी प्रायः देखने को मिल जाती है। गाँवों में प्राचीनकाल से अधिकतर पालतू जानवरों के देशी इलाज में भी प्रयुक्त होती रही है।

गुण-दोष- वातनाशक, अम्ल-पित्तनिवारक, लिवर (यकृत) के लिए उपयोगी, सूजननिवारक, दरदनिवारक, कृमिनाशक, रक्तशुद्धिकारक, पाचन शक्तिवर्द्धक, पीलिया तथा त्वचा रोगों को दूर करने वाली, बलकारक, कब्जनिवारक, त्वचा को सुंदरता प्रदान करने वाली सर्वसुलभ औषधि है। त्वचा जलने एवं कटने पर घाव भरने के लिए प्रभावकारी औषधि है। इसमें केटालेज एन्जाइम होता है।


मात्रा - घृतकुमारी का रस 10 से 20 मि.ली.। प्रभाव - आयुर्वेद के अनुसार धीरे-धीरे परंतु सुनिश्चित लाभ पहुँचाने वाली रामबाण औषधि है। यह मलशुद्धि करती है। शरीर के अंदर के विजातीय तत्त्वों (रोगकारक तत्त्व) को बाहर निकालती है। पाचनशक्ति को सुव्यवस्थित करती है। रस, रक्त और सप्त धातुओं की शुद्धि करने वाली औषधि है। यह औषधि मिरगी, संधिवात, गठिया, पेट के रोग, सभी प्रकार की खाँसी, टी.बी., कब्ज, लिवर के रोग, ज्वर, पीलिया, पांडु, पथरी, एसिडिटी, पेट के कृमि संबंधी रोग उन सबको नष्ट करने में इस औषधि की बड़ी भूमिका है। पेट कड़ा होने पर पेट पर लेप करने के लिए घृतकुमारी का गूदा निकालकर पेट के ऊपर रखकर बाँधने से आँतों के अंदर की गाँठें ढीली पड़ जाती हैं। मल बाहर फेंकने की ताकत बढ़ती है। मल टुकड़ों-टुकड़ों में बाहर आ जाता है। पीलिया रोग होने पर घृतकुमारी का सेवन कराने से आँतों में जमा पित्त बाहर निकल आता है।


घृतकुमारी दिमागी गरमी को शांत करता है। मस्तिष्क का भ्रम दूर होता है। आँखें ठंढी होती हैं। आँखों पर गरमी का कुप्रभाव दूर हो जाता है। घृतकुमारी की जड़ निकालकर धोकर, पीसकर गरम पानी के साथ पिलाने से पुराना बुखार नष्ट होता है। उलटी द्वारा विकार बाहर निकल जाता है।


जलन को शांत करने के लिए अग्नि से जली हुई त्वचा के घाव या आँखों की पीड़ा में हलदी गाँठ को घिसकर उसके लेप के साथ घृतकुमारी का रस मिलाकर लगाने से जलन के कष्ट में कमी आती है। घृतकुमारी के रस के साथ हलदी एवं सेंधा नमक मिलाकर सेवन कराने से अनेक रोगों में लाभ होता है। नए रक्त का निर्माण होता है। पाचनक्रिया में सुधार होता है। कब्ज दूर होता है। जठराग्नि तेज होती है। खाँसी एवं ज्वर, महिलाओं के मासिकधर्म की रुकावट, पीलिया, वायुगोला इत्यादि रोग दूर होते हैं। मासिकधर्म की रुकावट दूर करने के लिए यह सबसे अधिक शीघ्र प्रभावकारी औषधि है। 

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               विभिन्न रोगों में प्रयोग


कानदरद में– कान की पीड़ा मिटाने के लिए जिस तरफ के कान में दरद हो रहा हो, उसके विपरीत दूसरी तरफ के कान में घृतकुमारी का रस 2 - 4 बूँद टपकाने से दरद से राहत मिलती है।


छोटे बच्चों की खाँसी में - घृतकुमारी का रस निकालकर आधा कच्चा भुना हुआ सुहागा एवं कालीमिर्च को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर महीन चूर्ण बना लें तथा घृतकुमारी के रस में खूब अच्छी तरह घोटकर छोटी-छोटी 1-1 रत्ती की गोलियाँ बना लें। इन गोलियों को 1 से 2 रत्ती लेकर माँ के दूध में घिसकर शिशु को पिलाने से शीघ्र लाभ होता है।


फोड़ा में - फोड़ा पकाने के लिए सज्जीखार एवं हलदी के साथ घृतकुमारी का गूदा निकालकर गरम कर बार-बार बाँधते हैं। यदि फोड़ा पकनेवाला हो तो जल्दी पक जाता है। फोड़ा फूट जाने पर घृतकुमारी का रस निकालकर उसमें हलदी मिलाकर ठंढा ही लेप करें, इससे घाव जल्दी ठीक हो जाता है।


मोच एवं चोट के कारण सूजन पर - घृतकुमारी के रस में आमा हल्दी एवं सफेद जीरे को पीसकर सहने योग्य गरम कर लेप करने से लाभ मिलता है।


बालकों के जुकाम में- घृतकुमारी का रस शहद के साथ दिन में 2 बार चटाते हैं। 


अग्नि से त्वचा जलने पर - आग से जलने पर तुरंत घृतकुमारी का रस निकालकर उसमें साफ सूती कपड़े को भिगोकर त्वचा पर रखने से जलन शांत होती है। फफोला नहीं उठता तथा घाव जल्दी ठीक होता है। घृतकुमारी का रस घाव को भरने एवं नई त्वचा के निर्माण में अत्यंत प्रभावशाली होता है।


पीलिया में - घृतकुमारी का ताजा रस मूली के रस के साथ -10 hat f4. overline 11 (बराबर मात्रा) लेकर पीने से लाभ होता है। दिन में 2 बार नित्य पूर्ण लाभ होने तक लेना चाहिए।


त्वचा पर झाइयाँ तथा दाग मिटाने के लिए - घृतकुमारी का रस निकालकर नियमित लगाने से त्वचा के रंग में निखार आता है तथा दाग- -धब्बे, झाइयाँ मिटती हैं।


ज्वर में मूत्रावरोध - एंटीबायोटिक दवाओं के सेवन से मूत्रावरोध होने पर घृतकुमारी का रस लेने से लाभ होता है।


विषम ज्वर में - घृतकुमारी जड़ को साफ धोकर पीस लें तथा गरम जल में मिलाकर छान लें तथा रोगी को पिला दें, इससे उलटी द्वारा विकार निकल जाते हैं तथा विषम ज्वर चला जाता है। 


वायु गोला में - घृतकुमारी का गूदा 5 ग्राम, गाय का घी 5 ग्राम, हरड़ चूर्ण 1 ग्राम, सेंधानमक 1 ग्राम मिलाकर नित्य खाने से वायु गोला मिटता है।


स्तन की सूजन में - घृतकुमारी की जड़ को हलदी के साथ पीसकर गरम कर मोटा लेप दिन में 3 बार नित्य बाँधने से गाँठ कम हो जाती है। 1 रत्ती कपूर दूध के साथ रोगी को पिलाना चाहिए। इससे शीघ्र लाभ होता है।


कमरदरद में - कमरदरद में घृतकुमारी के साथ शहद तथा सोंठ चूर्ण मिलाकर सेवन कराने से लाभ मिलता है।


संधिवातनाशक बाटी - जोड़ों के दरद, - गठिया, कमरदरद, गरदन की अकड़न, पीठदरद इत्यादि वात व्याधियों के निवारण के लिए प्रातःकाल नाश्ते में घृतकुमारी की बाटी का चूरमा खाने से लाभ मिलता है। ये बाटियाँ पीलिया, पांडु रोग तथा बुखार के बाद कमजोरी दूर करने के लिए भी लाभप्रद हैं बालक, वृद्ध, युवा, स्त्री-पुरुष सबके लिए बलवर्द्धक हैं। जोड़ों को लचीला, स्वस्थ बनाकर संधिवात से मुक्ति दिलाती हैं।


विधि- 

घृतकुमारी के मोटे चपटे पत्तों को काटकर ले आएँ तथा पानी से धोकर ऊपर का छिलका तथा काँटे चाकू से हटा दें। गूदा को निकालकर गेहूँ के आटे में मिलाकर गूँधते रहें। जब गीला आटा बाटी बनाने के योग्य कड़ा हो जाए, तब ओवन में या कंडों की आग में सेकने के लिए रखें। जब बाटी अच्छी तरह पक जाए, तब आग से हटाकर एक थाली में रखें तथा ऊपर का जला हुआ काला अंश हटाकर उसमें गुड़ और घी मिलाकर चूरमा बनाकर नित्य प्रातः सेवन करें । भोजन न करें। भोजन शाम के समय करें। मिर्च, तेल, तले हुए खाद्य, दही, खटाई तथा अचार इत्यादि वायुकारक एवं पचने में भारी खाद्य पदार्थों का सेवन न करें। बाटियाँ जितनी आसानी से पचा सकें, उतनी ही सेवन करें। बाटियाँ नित्य ताजी बनाकर सेवन करें। घी की मात्रा कम रखें।


हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक शोध अध्ययन में यह प्रमाणित हुआ है कि जो लोग अधिक मात्रा में फल-सब्जियाँ खाते हैं, उनकी याददाश्त से जुड़ी परेशानियाँ कम होती हैं। रंगीन फलों और सब्जियों में विद्यमान एंटि | ऑक्सीडेंट्स तथा मैग्नीशियम दिमाग की कोशिकाओं के पुनर्निर्माण में मदद करते हैं। इसके अलावा ये शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर करने में भी कारगर हैं, कई बीमारियों में फायदेमंद हैं। लंबे समय तक प्रयोग करने से इसके फायदे होते हैं।



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