बादाम के गुणकारी प्रयोग
बादाम भारत के ठंढे क्षेत्रों में विशेषकर कश्मीर, पंजाब तथा दक्षिण के पश्चिमी तट पर भी पैदा किए जाते हैं। काबुल (अफगानिस्तान), तुर्की आदि देशों में तथा यूरोप में अधिक होते हैं
बादाम के गुणकारी प्रयोग |
मीठे बादाम ही खाने के योग्य होते हैं। मीठे बादाम को रगड़ने से या जल में भिगोने से किसी प्रकार की गंध नहीं निकलती है। कड़ए बादाम में इस क्रिया से विशेष प्रकार की गंध आती है। कडुए बादाम विषैले होते हैं; इनका उपयोग केवल बाहरी लेप में किया जाता है। कडुए बादाम का लेप शोथ, दाद, कुष्ठ, कृमि विशेषत: योनिकंडू (खुजली), मस्तक दरद, पुराने घाव, गीली खुजली आदि पर लाभदायक है। शरीर के काले दागों पर लेप लगाने से लाभ होता है।
बादाम के गुणकारी प्रयोग |
• गुणधर्म - नाड़ी के लिए बलकारक, वातनाशक, कफ-पित्तवर्द्धक, भूख बढ़ाने वाला, वायुनाशक, हलका रेचक, मस्तिष्क की दुर्बलता मिटाने वाला, पाचनशक्ति बढ़ाने वाला, पुराना कब्ज दूर करने वाला तथा श्वेतप्रदर एवं कष्टप्रद मासिकधर्म में लाभदायक है। बादाम स्तनों में दुग्ध-वृद्धि करता है। श्वसन संस्थान, मूत्र संस्थान तथा प्रजनन संस्थान के रोगों पर बादाम अन्य उपयुक्त द्रव्यों के साथ पीसकर देते हैं । खाँसी और कफ में पिपरमेंट के साथ इसे दिया जाता है। कब्ज दूर करने के लिए तथा आँतों में दरद की स्थिति में बादाम का अंजीर के साथ प्रयोग करते हैं। बादाम कफ के साथ आने वाले खून को बंद करता है।
बादाम गरमी या सरदी, दोनों में उपयोगी है। शरीर में नया खून और वीर्य पैदा करता है। पुराने खून को शुद्ध करता है।
बादाम को चेहरे के सौंदर्य के लिए लेप (उबटन) में प्रयोग करते हैं। बादाम को भूनकर खाने से आमाशय की सक्रियता बढ़ती है। पकी हुई मीठी, चिकनी, बादाम गिरी पुष्टिकारक, कफकारक और वात का नाश करती है।
• दिमागी शक्ति एवं स्मरणशक्ति में वृद्धि के लिए - बादाम गिरी 10 - 12 नग रात के समय पानी में भिगो दें एवं प्रातः काल इनके छिलके हटाकर, पीसकर दूध में मिलाकर खूब घोटें। आधा किलो गाय के दूध में मंद आँच पर पकाएँ। 2 या 3 उबाल आने पर उतारकर, मिसरी मिलाकर 2 पात्रों में उलट - पलटकर खूब झाग उठने पर ठंढा होने पर सेवन करें। वजन बढ़ाना हो तो दूध ठंढा होने पर छोटी मधुमक्खी का शहद मिलाकर पिएँ। उपरोक्त प्रयोग विद्यार्थियों के लिए बेहद उपयोगी है।
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• आँखों से पानी बहना - आँखों से पानी बहता हो तो बादाम गिरी प्रतिदिन 3 से 7 नग चबाकर खाते रहने से लाभ होता है।
• आँखों के आगे अँधेरा आना- आई फ्लू इत्यादि में बादाम गिरी 7 नग महीन पीसकर उसमें घी और मिसरी 2-2 तोला मिलाकर प्रातः-सायं सेवन करें। इससे आँख नहीं आतीं और यदि आई हों तो शीघ्र अच्छी हो जाती हैं। आँखों के आगे अँधेरा, आँखों में गरमी के कारण उत्पन्न विकार एवं मस्तिष्क की उष्णता शांत हो जाती है। कम-से-कम 7 दिन सेवन करें। इससे सूखी खाँसी में भी लाभ होता है। बालकों के लिए विशेष हितकारक है।
• दृष्टि दुर्बलता में - बादाम गिरी और ताजी सौंफ साफ की हुई, 10 - 10 तोला लेकर सौंफ को महीन पीसकर उसमें बादाम को महीन काटकर सौंफ चूर्ण के साथ खरल कर, एक साथ मिलाकर उसमें मिसरी का 20 तोला चूर्ण मिलाकर शीशी में भरकर रखें। 1-1 तोला चूर्ण मुख में डालकर धीरे-धीरे खाकर सो जाएँ। इसके बाद जल एवं दूध कुछ भी न लें। यदि प्यास लगे तो 4-5 घंटे बाद जल पीएँ । 40 दिन सेवन करने से दृष्टि दुर्बलता दूर होती है या रात्रि के समय बादाम गिरी 7 नग 1 तोला मिसरी के साथ खाते रहने से भी दृष्टि तीव्र हो जाती है।
• उन्माद (पागलपन) में - मानसिक रोगों का कारण मस्तिष्क विकृति है। इन रोगों के शमन के लिए प्रातः सायं 0 - 10 बादाम की गिरियों को जल में फुलाकर पिट्ठी बनाकर गाय के दूध (20 तोला) में पकाएँ और पकाते समय मिसरी 2 तोला और छोटी इलायची 3 नग कूटकर मिला दें, पक जाने पर ठंढा कर रोगी को पिलाएँ। इससे गहरी निद्रा आती है। मस्तिष्क की विकृति दूर होती है। शारीरिक शक्ति भी बढ़ती है। उन्माद रोग में बड़ा लाभ मिलता है।
• सिरदरद में - बादाम गिरी को दूध एवं कपूर में घिसकर मस्तक पर लेप करें तथा बादाम गिरी को दूध में पकाकर एवं शक्कर मिलाकर 3 दिन खाएँ ।
• सुजाक तथा पेशाब में जलन - बादाम गिरी 7 नग छिलका उतारकर पीस लें तथा असली सफेद चंदन जल के साथ पत्थर पर घिसकर 6 ग्राम मिलाएँ और मिसरी मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करें। इससे असाध्य एवं कष्टसाध्य सुजाक शीघ्र दूर होता है। मूत्र की जलन शीघ्र दूर होती है।
• मस्तिष्क के विकारों में - बादाम गिरी 5 नग रात भर भिगोकर प्रातः उनके छिलका उतारकर दूर कर दें। बादाम गिरी के साथ 2 - 3 कबाबचीनी (शीतलचीनी), 2-3 छोटी इलायची छिलका सहित पीसकर उसमें ताजा घी 1 तोला, मिसरी 1 तोला, शहद आधा तोला मिलाकर सेवन करें। इस प्रकार प्रातः- सायं 7 दिन सेवन करने से मस्तिष्क बलवान होता है। धातु की वृद्धि होती है।
• कब्ज में - बादाम गिरी भिगोकर छिलका उतारकर, सुखाकर 21 नग लें और शुद्ध जायफल 1 तोला लेकर बादाम गिरी के साथ एक शीशी में रखकर बंद अलमारी में रख दें। 4 दिन बाद बादाम गिरी निकालकर अन्य शीशी में रखें। अब इसमें से प्रतिदिन 1 से 3 नग बादाम गिरी को खाएँ। यह एक उत्तम दस्तावर प्रयोग है।
• कंपवात में - बादाम गिरी 1 - 2 नग लेकर 8 -10 घंटे जल में भिगोकर छिलका हटा दें और पत्थर पर चंदन की तरह घिसकर उसमें शहद मिलाकर, चाटते रहने से यथेष्ट लाभ होता है। यह प्रयोग 40 दिन तक करें।
बादाम के तेल का प्रयोग
बादाम का शुद्ध तेल विश्वस्त फार्मेसी का ही लेना चाहिए। बाजार के खुले तेल में मिलावट की आशंका होती है।
बादाम का तेल हलका रेचक, घाव को भरने वाला, कृमिनाशक, कान दरद, गले के दरद में उपयोगी है। गुदा, लिवर और तिल्ली के दरद को दूर करता है। गुरदे की सूजन तथा गर्भाशय की सूजन में लाभदायक है। पैरों की बिवाई फटने पर बादाम का तेल लगाने से लाभ होता है। कान में आवाज आना तथा कान के दरद में हलका गरम करके दो बूँद तेल कान में डालने से लाभ होता है। सिर में जूँ होने पर इस तेल को लगाने से जूँ नष्ट हो जाती हैं।
• जीर्ण कब्ज में – रात्रि के समय गरम दूध के साथ बादाम का शुद्ध तेल 3 ग्राम की मात्रा में सेवन करना प्रारंभ करें । प्रतिदिन थोड़ा-थोड़ा बढ़ाते हुए 6 ग्राम तक बढ़ाएँ। कुछ दिनों में ही जीर्ण कब्ज दूर हो जाएगा।
• दंत रोगों में उपयोगी मंजन - बादाम के छिलकों को जलाने पर उसके 100 ग्राम कोयले को पीसकर 20 ग्राम काली मिर्च तथा 40 ग्राम सेंधा नमक मिलाकर खूब कूट-पीसकर-छानकर रख लें। इस मंजन में फिटकरी का फूला 10 ग्राम भी पीसकर मिला लें। इससे मसूड़ों में रक्तस्राव, दाँतों का हिलना, दरद होना, मसूड़ों का फूलना आदि विकारों में लाभ होता है।