आयुर्वेद में गौमूत्र को धार्मिक स्थान प्राप्त है और यह कई तरह की बीमारियों के इलाज में सबसे सुरक्षित माना जाता है । यह शरीर से वात , पित्त और कफ को दूर करने में मदद करता है । यह एक प्राकृतिक एंटी - बैक्टीरियल , कीटाणुनाशक , एंटी - फंगल , एंटी - बैक्टीरियल , एंटी - एलर्जिक है और इसे संजीवनी भी कहा जाता है । गौमूत्र लोह , तांबे , सल्फर , मैगनीज़ , नाइट्रोजन , कार्बोलिक एसिड , मैग्नीशियम , एन्जाइम्स , खनिजों , एवं विटामिन जैसे ए , बी , सी , डी , ई , यूरिक एसिड , हॉर्मोन , गोल्ड एरिड इत्यादि से युक्त है । यह शरीर से विषैले पदार्थों को मूत्र के जरिये बाहर निकालने में सहायक है । गौमूत्र का नियमित सेवन शरीर में कई सारे सूक्ष्म तत्वों की कमी को पूरा करता है । यह खून की कमी , त्वचा के रोगों एवं बवासीर में बहुत फायदेमंद साबित होता है ।
गौमूत्र के लाभ :
1.विभिन्न बीमारियों से लड़ने में मदद करता है ।
2.पीलिया से पीड़ित लोगों के लिए बेहद लाभकारी है।
3. रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है।
4. जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने में सहायक है ।
इस्तेमाल करने की विधि :
1. 30 मि.ली. गौमूत्र को 50 मि.ली. पानी में मिलकर दिन में दो बार लें।
2. इस मिश्रण का सेवन सुबह ( खाली पेट ) और शाम को ( रात के खाने से पहले ) करें।
3.बेहतर परिणाम पाने के लिए इसकी मात्रा धीरे - धीरे बढ़ा लें।